meri Shayari
Monday, July 26, 2010
Today ..More 4 U 26 July 2010
उन्होंने ने ऐसे दर्द दिए ,
की कलम उठी और नगमे बन गए ,
सोचा क्या लिखू की वो मेरी बन जाये ,
फिर किसी को ऐसे दर्द न दे पाए
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